वक़्त आज तुम यूँ करना
थम जाना रुकना मत बढ़ना
दो पल चाहता था तुमसे
कुछ लम्हे भी बीते कल से
एक बार को बस सुन लो कहना
ऐ वक़्त अज तुम यूँ करना
थम जाना रुकना मत बढ़ना।
कुछ दिन दोपहरें रखी थीं
एक शाम भी राहें तकती थी
वो शाम ज़रा घुल जाए रात में
बस रात अधूरी मत रखना
ऐ वक़्त आज तुम यूँ करना
थम जाना रुकना मत बढ़ना।
थम जाना रुकना मत बढ़ना
दो पल चाहता था तुमसे
कुछ लम्हे भी बीते कल से
एक बार को बस सुन लो कहना
ऐ वक़्त अज तुम यूँ करना
थम जाना रुकना मत बढ़ना।
कुछ दिन दोपहरें रखी थीं
एक शाम भी राहें तकती थी
वो शाम ज़रा घुल जाए रात में
बस रात अधूरी मत रखना
ऐ वक़्त आज तुम यूँ करना
थम जाना रुकना मत बढ़ना।
ab kaise taareef karein .... all your compositions sound so sweet despite being so meaningful ... that is a sign of great potential
ReplyDeletethanks bhaiya :)
Deletewaise tareef bhi jitni ho utni kam, u knw am so greedy ;)