अनकही है एक हसरत जो जिए जा रहे हैं
लगता है बस कोई ख्वाब बोये जा रहे हैं
खबर भी नहीं है कोई सिरा मिलेगा या नहीं
पर हाँ, ख्वाहिशों के धागे सीए जा रहे हैं
बड़े अनोखे मिजाज़-ओ-अंदाज़ हैं
सवाल खड़े हो जाते हैं हर मोड़ पर
और कभी जवाबों की एक गली भी मिल जाती है
एक सफ़र ही है जो बस चले जा रहे हैं
शामों में भी खालीपन है कहीं
ठहरा है कब से, ना जाने की ज़िद है इसे
ढल ही जाएगी ये शाम भी किसी रोज़
इसी आस में हर दिन खोये जा रहे हैं
कभी ये प्यास भी पकेगी
जवाब खुद ही देंगे सब सवाल
हर बात जो पहेली थी सुलझ जायेगी
बस ये इम्तिहान है जो हम दिये जा रहे हैं
कुछ बात है इसमें जो मजबूर करती है
कहती है के खोयी हूँ मैं ढूंढ ले मुझे
आदत है हमारी भी जो सुनते हैं कहा इसका
एक शौक अनकही है जो जिए जा रहे हैं
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